नई दिल्ली। नोएडा सेक्टर 30 स्थित जिला अस्पताल में सीने में तेज दर्द की शिकायत लेकर पहुंची ईशानी को दूसरे अस्पताल रेफर कर दिया गया। अस्पताल में हृदय रोग विशेषज्ञ न होने के कारण उन्हें इलाज नहीं मिल सका। उनके पिता संजय ने कहा कि इमरजेंसी डॉक्टर के परामर्श से ईसीजी कराया, जो कि सामान्य नहीं था। डॉक्टर का कहना था कि हृदय का डॉक्टर नहीं है, इसलिए इलाज के लिए दिल्ली स्थित सरकारी अस्पताल में जाना पड़ेगा। जानकारी के मुताबिक 32 स्थाई डॉक्टरों का पद स्वीकृत हैं। इन पर 24 डॉक्टर नियुक्त हैं। बाकी पद खाली हैं। 60 वर्ष से अधिक उम्र के और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत करीब 11 डॉक्टर तैनात हैं लेकिन इनमें भी कई विशेषज्ञ नहीं हैं। जिला अस्पताल में ईएनटी डॉक्टर का स्थाई पद खाली है। एक डॉक्टर हैं लेकिन उनकी नियुक्ति राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत है। ऐसे में ईएनटी का मेडिकोलीगल होना मुश्किल होता है। जिले में एक मात्र ईएनटी सर्जन हैं, जिन्हें मामला रेफर किया जाता है। वही इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर के चार पद हैं, जिन पर एक डॉक्टर नियुक्त है। बाकी पद खाली हैं। ऐसे में ओपीडी के डॉक्टरों की अलग-अलग दिनों में इमरजेंसी ड्यूटी लगाई जाती है। डॉक्टरों ने कहा कि ओपीडी के अलावा इमरजेंसी, पोस्टमार्टम और वीआईपी ड्यूटी के कारण वे काम के बोझ के कारण कई बार तनाव ग्रस्त हो जाते हैं। अस्पताल में दोपहर दो बजे तक एक्सरे और अल्ट्रासाउंड की सुविधा मिलती है। इसके बाद आने वाले रोगियों को अगले दिन बुलाया जाता है। मरीज चंदर ने कहा कि 24 घंटे एक्सरे और अल्ट्रासाउंड की सुविधा होनी चाहिए। अस्पताल प्रशासन के मुताबिक आपातकालीन स्थिति में दो बजे के बाद भी डॉक्टर को बुलाकर मरीज को रेडियोलॉजी की सुविधा दी जाती है। जिन मरीजों के लिए तुरंत आवश्यक नहीं है वे अगले दिन एक्सरे और अल्ट्रासाउंड करा सकते हैं।