लेखक, सौरभ गंगवार
खनन माफियाओं को मिलता है पुलिस प्रशासन और सफदेपोशों का संरक्षण
रूद्रपुर। जिले में खनन को लेकर वर्चस्व की जंग कई वर्षों से खूनी रूप ले चुकी है लेकिन इस पर प्रभावी अंकुश इसलिए नहीं लग पाता क्यों कि इसमें पुलिस प्रशासन से लेकर सफेदपोशों तक की मिलीभगत होती है। यही वजह है कि खनन व्यवसाय आज जिले में माफिया कल्चर को बढ़ावा देने वाला प्रमुख व्यवसाय बन गया गया है।
जिले में खनन को लेकर पहले भी कई बड़ी वारदातें सामने आ चुकी है। खनन में वर्चस्व की जंग को लेकर अंदरखाने कई लोगों के बीच आपसी रंजिश कब खूनी रूप ले ले इसका अंदाजा किसी को नहीं होता। छोटी मोटी वारदातें होना तो आम बात है। आए दिन खनन को लेकर हथियार लेकर लोग आमने-सामने होते हैं। उसके बाद किसी की गोद सुनी होती है। किसी का सुहाग उजड़ता है। फिर यह रंजिश आने वाली पीढ़ियों तक जिंदा रहती है। ताजा उदाहरण काशीपुर का है। चौबीस घंटे के भीतर दो हत्याओं के पीछे प्रमुख कारण खनन ही रहा है। कुण्डा थाना क्षेत्र के भरतपुर में ज्येष्ठ उप प्रमुख गुरताज सिंह भुल्लर की पत्नी गुरजीत कौर की हत्या के पीछे मुख्य वजह खनन ही रही। यूपी पुलिस की मानें तो गुरताज सिह भुल्लर ने खनन माफिया जफर को अपने घर में छिपा रखा था उसी को पकड़ने के लिए पुलिस आई तो इतना बड़ा काण्ड हो गया है। यह मामला अभी शांत भी नहीं हो पाया था कि स्टोर क्रेशर व्यवसायी मेहल सिंह की कुण्डेश्वरी थाना क्षेत्र के जुड़का नंबर दो में स्थित उनके घर में दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गयी दोनों ही घटनाओं के पीछे खनन को लेकर रंजिश की बात सामने आयी है।
जिले में यह पहले मामले नहीं है जब खनन को लेकर खूनी खेल हुआ हो इससे पहले भी खनन को लेकर वर्चस्व की जंग में कई घरों के चिराग बुझ चुके हैं। खनन का खेल इतना खतरनाक साबित हो रहा है कि अपराधी कैबिनेट मंत्री तक को मारने की साजिश से पीछे नहीं हट रहे पिछले दिनों कैबिनेट मंत्री एवं सितारगंज के विधायक सौरभ बहुणा की हत्या की साजिश में भी खनन का ही खेल सामने आया है। दरअसल तराई में नदियों से अच्छी मात्रा में खनन होता है और इससे करोड़ों की कमाई है। इसी लिए जिले में खनन माफिया पैदा होते जा रहे हैं। इन खनन माफियाओं को पुलिस प्रशासन से लेकर सफेदपोशों का भी संरक्षण मिलता है।
खनन माफियाओं के हौंसले इतने बुलंद हैं कि आये दिन पुलिस और वन विभाग पर हमले से भी पीछे नहीं हटते अवैध खनन के खेल में आधिपत्य की जंग प्रमुख होती है। इसीलिए खनन माफिया बड़ी से बड़ी वारदात को अंजाम देने में जरा भी नहीं हिचकते माफियाओं की पहुंच के चलते कई जगह पुलिस भी नतमस्तक नजर जाती है। यही वजह है पिछले दा दशक में खनन के वर्चस्व को लेकर दो दर्जन से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।।