माँ ने अपने दो बच्चों को सड़क पर बेसहारा छोड़ा

हरिद्वार। पूत कपूत सुने है जग में, माता नहीं कुमाता, इस कहावत को एक महिला ने मानो झुठला ही दिया। अपनी दूसरी शादी बचाने के लिये अंधी माँ ने अपने 4 साल के बेटे और 3 साल की बेटी को हरिद्वार लाकर बेसहारा छोड़ दिया और चुपचाप चली गयी। महिला को अपनी नई शादी को सफल बनाना था। यह माँ जब अपने बच्चों को घर से लेकर निकली तो उसके पैर नहीं कांपे और न ही कलेजा फटा। माँ ने दूसरी शादी करने के बाद गृहस्थी के झगड़ों से परेशान होकर अपने दोनों बच्चों को लावारिस छोड़ दिया। 3-4 वर्ष के मासूम दर-दर ठोकरें खाकर व भूखे-प्यासे रहकर अपनी माँ को तलाश कर रहे थे।

निर्दयी माँ तो अपने बच्चों को छोड़कर चली गई। लेकिन भाई ने अपनी बहन का साथ नहीं छोड़ा। वह अपनी छोटी बहन का हाथ पकड़ कर धर्मनगरी की गलियों में यात्रियों से भिक्षा व भोजन माँगकर सड़कों पर अपनी माँ को ढूँढ रहा था। इसी दौरान ए.एच.टी.यू. टीम ने विगत 30 सितम्बर को रोड़ी बेलवाला क्षेत्र स्थित पार्किंग में दो लावारिस बच्चों को घुमते हुए देखा। पूछताछ में बच्चों ने अपना नाम मनीष (4 वर्ष) पुत्र व देविका (3 वर्ष) पुत्री स्वर्गीय मोहित बताते हुये कहा कि वह दोनों भाई-बहन अपनी माँ को ढूँढ रहे हैं।

ए.एच.टी.यू. टीम ने आसपास माँ को ढूँढने के प्रयास किये कड़ी मशक्कत के बाद भी कोई जानकारी नहीं मिली। बच्चों को कार्यवाही करते हुए बाल कल्याण समिति के आदेश पर खुला आश्रय गृह, ज्वालापुर में संरक्षण दिलवाया। ए.एच.टी.यू. ने DCRB सहरानपुर व SCRB लखनऊ (यू.पी.) को बच्चों की फोटो भेजकर शिनाख्त करने का आग्रह किया गया। ऑपरेशन स्माइल के तहत ए.एच.टी.यू. टीम ने बच्चों द्वारा बताए गए मुंझेड़ा नामक ग्राम को ढूंढने के लिये मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, बिजनौर एवं दिल्ली में तलाश एवं संपर्क अभियान चलाया। ए.एच.टी.यू. टीम ने बृहस्पतिवार को बच्चों के परिजनों को खोजने में सफलता हासिल की।

बच्चों के मामा निवासी ग्राम जट मंझेड़ा, मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) ने बताया कि बच्चों की माँ के पूर्व पति मोहित का स्वर्गवास हो चुका है। दो माह पूर्व शिखा का पुर्नविवाह हुआ। घरेलू हिस्सा के कारण मानसिक दबाव के चलते बच्चों की माँ उन्हें लावारिस हालत में हरिद्वार छोड़ गई। परिजनों के पूछने पर शिखा (माँ) ने रोते हुये बताया कि वह बच्चों को हास्टल छोड़ आई। ए.एच.टी.यू. टीम द्वारा बच्चों के बारे में हकीकत बताने पर पूरी बात खुलकर सामने आई। बच्चे अत्यंत दयनीय स्थिति में यात्रियों से भिक्षा व भोजन मांगने व सड़क के किनारे फूटपाथ पर सोने को मजबूर थे। महिला के अपनी गलती स्वीकार करने, परिजनों एवं ग्रामीणों के आग्रह करने पर बच्चों को बाल कल्याण समिति के आदेश पर काउंसलिंग के बाद परिजनों के सपुर्द किया गया।

इस दौरान ऑपरेशन स्माइल के तहत ए.एच.टी.यू. टीम में उपनिरीक्षक जयवीर सिंह रावत व किरण गुसाई, हेड कांस्टेबल राकेश कुमार व कांस्टेबल दीपक चन्द, मुकेश कुमार, विमल कुमार, बलवंत शामिल रहे।

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