राजस्व विभाग की मिलीभगत से तराई की जमीन पर एक नया खेल

बहुचर्चित एनएच-74 घोटाले के बाद भी तराई में जमीनों के खेल बदस्तूर जारी है, राजस्व कर्मियों की मिलीभगत के चलते जमीनों का लैंड यूज बदला जा रहा है,अधिकारी मौके का निरीक्षण तक नहीं कर रहे हैं,अब ताजा मामला किच्छा रोड के राजस्व ग्राम शिमला पिस्तौर का है,जहां पर तीन एकड़ की ऐसी जमीन का लैंड यूज अकृषक से बदलकर कृषक कर दिया गया है,हकीकत यह है कि उस जमीन पर पिछले 15 सालों से खेती नहीं हुई है,भवन बना हुआ है,चहारदीवारी हुई है,राजस्व कर्मियों व भू-माफिया के इस खेल की शिकायत मंडलायुक्त से की गई है।

तराई में जमीनों का खेल नया नहीं है,काशीपुर-सितारगंज राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 74 पर हुआ खेल तो पूरे देश में चर्चित हुआ अभी तक मामले की जांच चल रही है,अधिकारियों से लेकर चपरासी तक इस मामले में जेल की हवा खा चुके हैं, सौ से ज्यादा पर निलंबन की गाज गिर चुकी है, एसआईटी की जांच अभी भी चल ही रही है लेकिन इसके बाद भी भू-माफिया व राजस्व विभाग के अधिकारी- कर्मचारी बाज नहीं आ रहे हैं, आर्थिक लाभ के चलते लैंड यूज बदलने का खेल चल रहा है, अब जो मामला सामने आया है वह अनोखे तरीके का है,अभी तक जो भी मामले सामने आये थे वह जमीनों का लैंड यूज कृषक से अकृषक करने का खेल सामने आया था लेकिन अबकी बार जो मामला सामने आया है, उसमें उस जमीन का लैंड यूज अकृषक से कृषक में दर्ज कर दिया गया जबकि इस पर पिछले 15 साल से खेती हुई नहीं है।

राजस्व कर्मियों के इस खेल की शिकायत भदईपुरा निवासी लोकेश यादव ने मंडलायुक्त से की है, लोकेश ने अपने शिकायती पत्र में पहले व अब की खतौनियां बतौर प्रमाण संलग्न की है आरोप है कि शिमला पिस्तौर के खाता संख्या 00429 खेत संख्या 77 की 2.1 हेक्टेयर भूमि का लैंड यूज 15 नवंबर 2007 को बदलकर अकृषक में किया था इस भूमि को एक बिल्डर्स कंपनी ने खरीदा था और उस पर कॉलोनी काटने का काम शुरू हो गया था।

इसके चलते जमीन की पहले चहारदीवारी कराई गई जमीन के एक हिस्से में भवन का निर्माण भी करा दिया गया बाद में कंपनी ने किन्हीं कारणों से यहां पर कॉलोनी बनाने का काम बंद कर दिया तब से यह जमीन ऐसे ही पड़ी है, लेकिन चार दिसंबर 2021 को भू माफिया ने परगनाधिकारी ने तहसील प्रशासन की रिपोर्ट के आधार पर इस जमीन का लैंड यूज बदलकर कृषक में कर दिया जबकि हकीकत में इस जमीन पर खेती हो ही नहीं रही है।

अब सवाल यह है कि इस जमीन का भू उपयोग बदलने की रिपोर्ट किस आधार पर लगाई गई है……..।

क्या राजस्व कर्मियों व अधिकारियों ने भू उपयोग बदलने से पहले इस जमीन का निरीक्षण किया………।

इन सवालों का जवाब किसी के पास नहीं है, फिलहाल मामला मंडलायुक्त के पास पहुंच चुका है, यहां बता दें कि एनएच-74 घोटाला भी तत्कालीन मंडलायुक्त सेंथियल पांडियन ने ऐसी ही एक शिकायत के आधार पर खोला था।

तो स्टांप ड्यूटी बचाने के लिये खेला गया खेल

रुद्रपुर। दरअसल, इस जमीन को मूल मालिक से दूसरे व्यक्ति ने खरीदा चूंकि जमीन अकृषक में दर्ज थी यानी व्यावसायिक में दर्ज थी, इसलिये इसकी कीमत सर्किल रेट के हिसाब से करोड़ों में जाकर बैठ रही थी इसकी स्टांप ड्यूटी भी एक करोड़ से ज्यादा की बैठ रही थी भू माफिया ने इसी स्टांप ड्यूटी का सरकार को चूना लगाने के लिये अधिकारियों व राजस्व कर्मियों की मदद से यह खेल खेला जब भूमि अकृषक से कृषक में दर्ज की गई, तो नीचे से लेकर ऊपर तक के अधिकारियों ने आर्थिक लाभ के चलते दफ्तरों में बैठकर ही पूरी रिपोर्ट लगा दी भू माफिया ने सरकार को स्टांप ड्यूटी का चूना लगाते हुये जमीन खरीद ली चार दिसंबर 2021 को लैंड यूज बदला गया इसके एक महीने बाद ही जनवरी 2022 में जमीन की रजिस्ट्री भू-माफिया के पक्ष में हो गई।।

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