आर.पी.उदास
काशीपुर। सितारगंज में स्कूली बच्चों से भरी बस दुर्घटना का शिकार हो जाने के बाद हरकत में आए प्रशासन ने यहां भी स्कूली वाहनों की जांच के लिए सघन अभियान चलाकर 11 वाहनों का चालान किया है ।परंतु इस मामले में अभी तक स्कूल प्रबंधकों पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है जबकि वास्तव में इन हादसों को रोकने के लिए स्कूल प्रबंधकों पर नकेल कसा जाना आवश्यक है।
सितारगंज बस हादसे से सबक लेते हुए यहां उपजिलाधिकारी अभय प्रताप सिंह, तहसीलदार युसूफ अली और एआरटीओ एके झा ने कल स्कूल वाहनों की जांच के लिए सघन अभियान चलाया इस दौरान वाहनों में सीसीटीवी कैमरे, फिटनेस, स्कूल संबंधी सूचना, खिड़की में जाली संबंधित सुरक्षा उपकरणों की जांच की। 30 स्कूली वाहनों की जांच के बाद मानक पूरे न करने वाले 11 वाहनों का चालान किया, उप खनिज से लदे एक वाहन को पकड़कर तहसीलदार ने पुलिस की सुपुर्दगी में दिया।

प्रशासन की कार्रवाई प्रशंसा योग्य कही जा सकती है परंतु केवल दो-चार दिन की इस औपचारिक कार्यवाही से व्यवस्था में सुधार आने की संभावना कम है क्योंकि इसके लिए वाहन स्वामियों पर चाबुक चलाने के साथ ही स्कूल प्रबंधकों पर भी नकेल कसा जाना आवश्यक है। अभिभावकों को भी जागरूकता से काम लेना चाहिए। काशीपुर में कुछ स्कूल प्रबंधकों की लापरवाही भी इस प्रकार की दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार है, उदाहरण के तौर पर यहां डाढियाल रोड स्थित मारिया असेमपुटा स्कूल में बच्चों की आवाजाही काफी खतरनाक है। स्कूल प्रबंधक मोटी फीस वसूलते हैं परंतु स्कूल आने जाने वाले बच्चों की ट्रांसपोर्ट व्यवस्था से पल्ला झाड़ते हुए कहते हैं कि बच्चों के स्कूल आने जाने की व्यवस्था से उनका कोई लेना-देना नहीं है। मारिया स्कूल के बच्चों को लाने ले जाने के लिए ज्यादातर थ्री व्हीलर( टेंपो) लगे हुए हैं इन तिपहिया वाहनों में बच्चों को भूसे की तरह ठोस ठोस कर भरा जाता है , क्षमता से दोगुना बच्चे बैठाए जाने के कारण हमेशा दुर्घटना की आशंका रहती है, कई बार हादसे हो चुके हैं ।कई अन्य स्कूलों में भी कमोवेश यही स्थिति है। इसलिए प्रशासन को वाहन चालकों के साथ स्कूल प्रबंधकों की जवाबदेही भी तय करनी चाहिए।