आर.पी.उदास
काशीपुर। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए मतदान की तिथि ज्यों_ज्यों नजदीक आ रही है, प्रत्याशियों की बेचैनी और गतिविधियां तेज होती जा रही हैं। कोई लाउडस्पीकर का शोर सुनाकर तो कोई चुपचाप घरों में बैठकें करके मतदाताओं को रिझाने की कोशिश कर रहा है। एक और दिलचस्प बात ये सामने आई है की मनमाफिक आरक्षण न होने पर कुछ पूंजीपति आरक्षित श्रेणी के प्रत्याशियों को कथित रूप से गोद लेकर चुनाव मैदान में नजर आ रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए 28 जुलाई को मतदान होना है, जिसके लिए चुनाव मैदान में आए ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य पद के प्रत्याशी अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए जमकर जोर आजमाइश कर रहे हैं। 18 जुलाई को चुनाव चिन्ह मिलने के बाद प्रत्याशियों की बेचैनी और भी बढ़ गई है। सभी प्रत्याशी अपनी जीत के लिए दिन और रात एक किए हुए हैं, कोई लाउडस्पीकर के जरिए अपने दावेदारी का ढोल पीट रहा है तो कोई व्यक्तिगत रूप से संपर्क करके मतदाताओं को रिझाने में लगा हुआ है। उधर मतदाता अपनी चुप्पी तोड़ने को तैयार नहीं है। ज्यादातर सीटों पर प्रत्याशियों की संख्या आधा दर्जन से अधिक है।

काशीपुर क्षेत्र में हो रहे चुनाव में एक और दिलचस्प पहलू यह सामने आया है कि कुछ सीटों पर प्रत्याशियों को कथित रूप से गोद लेकर चुनाव लड़ाया जा रहा है। इस विषय में पता चला है कि कुछ धन्नासेठ विभिन्न सीटों पर चुनाव लड़ने की लंबे समय से तैयारी कर रहे थे परंतु जिन सीटों पर वह चुनाव लड़ने की तैयारी में थे वह सीटें अनुसूचित जाति या अन्य वर्गों के लिए आरक्षित हो गई। अरमानों पर पानी फिरने के बाद अब इन लोगों के दिमाग में पल रहे राजनीतिक कीड़े शांत नहीं हुए। अब इन लोगों ने जिस जाति के लिए यह सीटें आरक्षित हैं उसी जाति के गरीब प्रत्याशियों के नाम से नामांकन करवा दिए हैं, परंतु चुनाव में पैसा खुद खर्च कर रहे हैं। इसके पीछे उनका मकसद यह है कि चुनाव जीतने वाला प्रत्याशी चुनाव जीतकर उनके इशारे पर काम करेगा। यहां की जिला पंचायत सदस्य की एक सीट पर चुनाव लड़ रही अनुसूचित जाति की महिला इस मामले को लेकर खासी चर्चा में है। बरहाल चुनाव प्रचार का माहौल अब काफी गर्म हो चुका है, देखते हैं कि मतदान की तिथि आते-आते ऊंट किस करवट बैठता है।
