दीपा माहेश्वरी
आज के आधुनिक युग में महिलाओं को भी पुरूषों के सामान अधिकार होने के बावजूद महिलाएं और युवतियां अपने भोले भाले स्वभाव और हर किसी पर विश्वास कर लेने के कारण कई बार मुसीबत में पड़ जाती हैं, यहां तक कि जिन पर वो सबसे ज्यादा भरोसा करती हैं उन्ही के हाथों यौन शौषण तक का शिकार हो जाती हैं। समाज में इज्जत से जीने के लिए उन्हें सावधान और चौकन्ना रहने की जरूरत है।
आज के समय में लड़के-लड़की स्कूल एवं काॅलेज में साथ पढ़ाई करते हैं। दफ्तर एवं किसी संस्थान में साथ कार्य करते है। आज के समय में लड़कों केे सामान लड़कियों को भी हर क्षेत्र में सहभागिता जैसे मेडिकल, स्पोर्ट्स, शिक्षा, पुलिस, परिवहन, फौज, एयर फोर्स आदि में दी जाती है। जिसमें लड़किया लड़कों के सामान अह्म भूमिका निभाती है। किन्तु आज के आधुनिक युग में बड़े शहरो में लिविंग रिलेशन का ट्रेंड काफी चल रहा है। जिसमें लड़किया अपने कुलिग के साथ रहने लगती है एवं उनसे प्रेम सम्बंध बना लेती हैं। यही ट्रैंड बड़े शहरो से छोटे शहरों में चला आ रहा है। इसमें महिलाओं को सतर्क रहने की अधिक आवश्यकता होती है। भारत में इस तरह की कई घटनाएँ सामने आती है महिलाओं के साथ आये दिन किसी न किसी रूप में यौन उत्पीड़न होता रहता है। लड़कियों के साथ काम करने वाले पुरूष कर्मचारी पहले उनके साथ दोस्ती का प्रस्ताव रखते हैं। उनके मन को लुभाने वाली बात, तरह-तरह की हमदर्दी जताने का भरोसा दिलाते हैं इसके साथ उनके साथ सोशल मीडिया पर जुड़ते हैं। जिसमें कुछ महिलायें उनको अपना हितैषी मान अपना समझ बैठती है। वहीं पुरूष उनकी उसी मासूमियत का फायदा उठाकर कितनी बार उनका शारिरिक शोषण करने में नहीं चुकते। ऐसे कितने ही मामले प्रकाश में आते हैं महिलओं को धमकी दी जाती है कि विरोध करने पर उन्हें सार्वजनिक रूप से बदनाम किया जायेगा। ऐसे में महिलाओं को सतर्क रहनें की आवश्यकता होती है एवं कानूनी ज्ञान होना आवश्यक है।
महिलाओं को अलग-अलग अधिकार दिये गये हैं। इनमें अहम हैं दफ्तर में यौन उत्पीड़न के खिलाफ सुरक्षा का अधिकार किसी घटना की स्थिति में जीरो एफआईआर दर्ज करने का अधिकार और बराबर वेतन पाने का अधिकार महिलाओं को है।
इक्वल रिम्यूनरेशन एक्ट में दर्ज प्रावधानों के मुताबिक जब सैलरी पे या मेहनताने की बात हो तो जेंडर के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकते किसी कामकाजी महिला को पुरुष की बराबरी में सैलरी लेने का अधिकार है।
भारतीय कानून के मुताबिक अगर किसी महिला के खिलाफ दफ्तर में या कार्यस्थल पर शारीरिक उत्पीड़न या यौन उत्पीड़न होता है तो उसे शिकायत दर्ज करने का अधिकार है इस कानून के तहत महिला 3 महीने की अवधि के भीतर ब्रांच ऑफिस में इंटरनल कंप्लेंट कमेटी को लिखित शिकायत दे सकती है।
किसी महिला की निजता की सुरक्षा का अधिकार हमारे कानून में दर्ज है अगर कोई महिला यौन उत्पीड़न का शिकार हुई है तो वह अकेले डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज करा सकती है। किसी महिला पुलिस अधिकारी की मौजूदगी में बयान दे सकती है।
कोई भी महिला वर्चुअल तरीके से अपनी शिकायत दर्ज कर सकती है। इसमें वह ईमेल का सहारा ले सकती है महिला चाहे तो रजिस्टर्ड पोस्टल एड्रेस के साथ पुलिस थाने में चिट्ठी के जरिये अपनी शिकायत भेज सकती है इसके बाद एसएचओ महिला के घर पर किसी कांस्टेबल को भेजेगा जो बयान दर्ज करेगा।
किसी महिला उसके रूप या शरीर के किसी अंगद्ध को किसी भी तरह से अशोभनीय, अपमानजनक, या सार्वजनिक नैतिकता या नैतिकता को भ्रष्ट करने वाले रूप में प्रदर्शित नहीं कर सकते ऐसा करना एक दंडनीय अपराध है।
आईपीसी की धारा 354क् के तहत वैसे किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी जो किसी महिला का पीछे करे बार.बार मना करने के बावजूद संपर्क करने की कोशिश करे या किसी भी इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन जैसे इंटरनेट, ईमेल के जरिये मॉनिटर करने की कोशिश करे ।
किसी महिला के खिलाफ अगर अधिकार होता है तो वह किसी भी थाने में या कहीं से भी एफआईआर दर्ज करा सकती है इसके लिए जरूरी नहीं कि कंप्लेंट उसी थाने में दर्ज हो जहां घटना हुई है । जीरो एफआईआर को बाद में उस थाने में भेज दिया जाएगा जहां अपराध हुआ हो।