हाईकोर्ट के आदेश के बाद 33 साल पुरानी नई सब्जी मंडी का अस्तित्व खतरे में

( आर. पी.उदास )

काशीपुर। एक जनहित याचिका पर

 

उत्तराखंड उच्च न्यायालय द्वारा काशीपुर की नई सब्जी मंडी से अतिक्रमण हटाए जाने के आदेश के बाद करीब 33 वर्ष पुरानी इस सब्जी मंडी के अस्तित्व पर सवाल खड़ा हो गया है, प्रशासन नोटिस चस्पा कर अतिक्रमण हटाने की तैयारी में जुट गया है तो यहां कारोबार करने वालों का रोजी-रोटी जाने की आशंका में दिन का चैन रात की नींद उड़ गई है।


जानकारी के अनुसार उत्तराखंड हाई कोर्ट ने मनोज कौशिक बनाम उत्तराखंड सरकार नामक जनहित याचिका में सुनवाई के बाद निर्णय दिया है कि नई सब्जी मंडी में तहसील गेट से बांसफोड़न पुलिस चौकी तक का अतिक्रमण तत्काल हटाया जाए। हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने की कवायद शुरू कर दी है । इसके बाद वर्ष 1989 में बनी इस नई सब्जी मंडी के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा गए हैं ।ज्ञात रहे कि काशीपुर नगरपालिका के तत्कालीन चेयरमैन केसी सिंह बाबा ने वर्ष 1989 में इस सब्जी मंडी को लगवाया था हाईकोर्ट के आदेश पर उप जिलाधिकारी अभय प्रताप सिंह ने बताया कि कोर्ट के आदेश का कड़ाई से पालन कराया जाएगा इसके लिए सब्जी मंडी में फड़ों, दुकानों व सार्वजनिक स्थानों पर नोटिस चस्पा कर दिए गए हैं ।3 दिन के भीतर अपने फड़ आदि हटा लें वरना पुलिस प्रशासन द्वारा बलपूर्वक हटाया जाएगा।


प्रशासन की इस कार्रवाई के बाद यहां का काबिज सब्जी विक्रेताओं व अन्य फड़ वालों में आक्रोश और मायूसी छा गई है, तहसील के पास पर लगाने वाले मोहम्मद शकील, तारकेश्वर प्रसाद श्रीवास्तव, गुल मोहम्मद, पंकज चावला, नसीम , धीरेंद्र आदि ने इस मामले में अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है ।इनका कहना है कि वह नगर निगम द्वारा दी गई जगह में अपने फड़ लगाते हैं और इसके लिए प्रत्येक फल वाला 2500 से ₹3000 प्रति महीना नगर निगम को किराया देता है, नगर निगम ने यहां दुकानें लगवाने के लिए बेंदर के रूप में लाइसेंस भी उन्हें बना कर दिए हैं ।और बिजली विभाग द्वारा बिजली के मीटर भी लगा कर दिए गए हैं ।ज्यादातर फड़ वालों का कहना है कि यह फड़ उनकी रोजी-रोटी का एकमात्र जरिया है, अगर इन्हें भी हटा दिया जाता है तो वे और उनके बच्चे भुखमरी के कगार पर आ जाएंगे। यहीं पर फड़ लगाने वाले इरशाद, दानिश, नजाकत , कैलाश, दयाल, दर्शन लाल, महेंद्र, राजू, आरिफ, अनीश का कहना है कि उन्हें उजाड़ने से पहले प्रशासन को उनके लिए अनियंत्रित बसाने के प्रयास करने चाहिए।

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