हरिद्वार। श्री प्रेम गिरी बनखंडी आश्रम कांगड़ी में श्री राम कथा की महिमा सुनाते हुए जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर परम पूज्य श्री संजय गिरी जी महाराज ने कहा धरा पर जब राक्षसी प्रवृत्ति का काफी विस्तार हो गया तथा लोग जनमानस राक्षसों के आतंक से त्रस्त हो गए आम जनमानस का जीवन दूर भर हो गया तो ऋषि मुनि भक्त जनों की पुकार सुन भगवान श्री हरि महाराजा दशरथ के यहां श्री राम के रूप में पुत्र रूप में अवतरित हुए तथा गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण करने के बाद अपने पिता और गुरु की आज्ञा से वन में जाकर विषयों पर आतंक बरसाने वाली ताड़का का वध किया फिर श्री राम का माता सीता जी के साथ विवाह हुआ उसके बाद माता केकई के भरत के लिए राजपाट मांग लेने पर व उनके लिए 14 वर्ष का वनवास कावर मांगने पर भगवान श्री राम माता सीता तथा श्री लक्ष्मण जी वन पदार्पण कर गए तथा सदियों से ऋषि मुनि साधु-संतों भक्तजनों पर राक्षसी अत्याचार कहर ढा रहे रावण का अंत कर पुनः अयोध्या नगरी लौटे तथा वहां लंबे समय तक राज करने के बाद श्री राम भाई लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न के साथ सरयू नदी से होते हुए बैकुंठ धाम पहुंचे तथा माता लक्ष्मी जी के साथ शेषनाग की सैया पर विद्यमान हो गए बोलो श्री राम भगवान की जय।