अवारा पशु भी बन सकते हैं सड़कों पर दुर्घटनाओं का कारण

दीपा माहेश्वरी

उत्तराखण्ड सरकार में सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियान को लेकर जनता को निरन्तर जागरूक किया जाता है एवं राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना के तहत नये-नये यातायात नियम बनाये जातेे है और जनता को समझाये भी जाते हैं। लेकिन ये नियम केवल प्रशासन की फाइलों में ही दब के रह जाते है। हमारे मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की सभी सड़कें गड्ढा मुक्त हों। मुख्यमंत्री कहते हैं वे कभी भी राष्ट्रीय राजमार्गों का औचक निरीक्षण कर सकते हैं। यदि राष्ट्रीय राजमार्गों पर गड्ढे पाये गये तो, संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त कारवाई की जाएगी। सड़कों के कार्यों में किसी भी प्रकार की शिथिलता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। लेकिन क्या सड़को पर होने वाली दुर्घटनाओं का कारण केवल क्षतिग्रस्त सड़के, तीव्र गति से चलते वाहन या वाहन ओवर टेक करना ही हो सकता है। सड़कों पर बैठे रहने वाले अवारा पशु भी दुर्घटनाओं का कारण बन सकते है। इस पर हमारी राज्य सरकार का ध्यान क्यों नहीं जाता है। नेशलन हाइवे पर दिन-रात खुलेआम अवारा पशु चहलकदमी करते है। इस पर प्रशासन का ध्यान नहीं जाता है। हाइवे पर गाड़िया तीव्र गति से दौड़ती है कितनी बार यह पशु वाहन के नीचे आते हैं या इन्हंें बचाने के लिए वाहन दुर्घटना ग्रस्त हो जाते हैं।
सर्दियां शुरू हो चुकी हैं तथा कोहरा पड़ना शुरू हो जाएगा। ऐसे में हाइवे पर वाहन थोड़ा संभलकर चलाएं। कहीं ऐसा न हो कि सड़कों पर बैठे अवारा पशुओं के कारण आप दुर्घटना का शिकार हो जाएं। क्योंकि हाइवंें पर इन अवारा पशुओं का काफी जमावड़ा रहता है, लेकिन यह न तो प्रशासन को दिखाई देता है और न ही राजमार्ग प्राधिकरण को। रात के समय तो ये अवारा पशु सड़कों पर बीचों-बीच बैठ जाते हैं, जो सड़कों पर अंधेरा होने के कारण वाहन चालकों को दिखाई नहीं देते हैं। कहीं-कहीं तो हाइवे पर स्ट्रीट लाइटो की भी सुविधा नहीं है। बात करे अगर हरिद्वार से नजीबाबाद रोड पर यहाँ तो जंगली जानवरों का भय बना रहता है और हाइवे के अधूरे काम के चलते सड़के भी कहीं-कहीं पर क्षतिगस्त है और न ही यहाँ लाइटों की सुविधा है।
प्रशासन द्वारा राजमार्ग पर घूमते इन अवारा पशुओं को हटाने के लिए कई बार योजनाएं बनाई गईं। इनके लिए पशुफाटक बनाने तथा गायों को गौशालाओं में छुड़वाने व सांडों के लिए नंदीशाला का निर्माण कराने की भी योजनाएं कई बार बनाई गई, लेकिन आज तक सिरे कोई नहीं चढ़ी। राजमार्गों पर बैठे झुंडों में ये पशु कई बार आपस में लड़ पड़ते हैं। कई बार इतनी जबरदस्त लड़ाई होती है कि लड़ते हुए ये सड़क के बीच में आ जाते हैं और गाड़ियों व लोगों के ऊपर तक गिर जाते हैं। जिससे दुर्घटनाएं हो जाती हैं। इतना ही नहीं सड़कों पर चलते लोगों पर भी कई बार हमला कर देते हैं।
प्रशासन को इस तरफ ध्यान देना चाहिए। सड़कों पर अवारा घूमते पशुओं को हटवाना चाहिए। ये अवारा पशु बेहद खतरनाक है। प्रशासन इस पर ध्यान दें, ताकि दुर्घटनाओं से बचा सके।

 

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