रूद्रपुर। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भले ही जीरो टोलरेंस के लाख दावे करते रहते हों लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। उन्हीं के गृह जनपद में जीरो टोलरेंस की धज्जियां उड़ रही हैं। भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे सब रजिस्ट्रार अविनाश कुमार के खिलाफ जांच पूरी होने के बावजूद कोई कार्रवाई नही होने से सरकार की जीरो टोलरेंस की नीति पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं।
आपको बता दें रूद्रपुर में लम्बे समय से तैनात सब रजिस्ट्रार अविनाश कुमार पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लग चुके हैं। रूद्रपुर से पहले अन्य स्थानों पर तैनाती के दौरान भी वह विवादों में घिरे रहे। रूद्रपुर में उनके भ्रष्टाचार की शिकायतें समय-समय पर उठती रही हैं। साथ ही उनके व्यवहार को लेकर वकीलों ने भी उनके खिलाफ मोर्चा खोला था। लेकिन अपनी पहुंच के चलते आज तक उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं हुआ इसका सबसे बड़ा कारण यही माना जा रहा है कि उनकी तैनाती मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सिफारिश पर तब हुई थी जब धामी खटीमा से विधायक थे। यही वजह है कि तमाम शिकायतों के बावजूद वह अभी तक रूद्रपुर में ही जमे हैं। रूद्रपुर में उन्हें हटाने की मांग कई बार उठ चुकी है।
भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे अविनाश कुमार के खिलाफ जिला प्रशासन ने जांच कराई तो उसमें कई आरोप सही पाये गये लेकिन इसके बावजूद उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुयी दरअसल एक शख्स ने जिलाधिकारी सहित उच्चाधिकारियों से शिकायत कर सब रजिस्ट्रार अविनाश कुमार पर आरोप लगाया था कि वह बैनामा पंजीकरण कराने वाले लोगों से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, कुमाऊ आयुक्त दीपक रावत, अपर जिलाधिकारी ललित नारायण मिश्र और जिलाधिकारी युगल किशोर पंत के नाम का दुरूपयोग कर 1 प्रतिशत से 2 प्रतिशत की रिश्वत ले रहे हैं। शिकायतकर्ता ने अपना नाम गोपनीय रखने की अपील करते हुए कहा था कि अविनाश कुमार बैनामा पंजीकरण करवाने के लिए सब रजिस्ट्रार कार्यालय आने वाले लोगों को खुलेआम कहते हैं कि उन्हें सभी उच्च अधिकारियों को रिश्वत देनी पड़ती है अगर अधिकारियों को रिश्वत नहीं दी तो उनका ट्रांसफर पहाड़ पर हो जायेगा आरोप ये भी था कि अगर कोई पक्षकार बैनामा कराने के लिए रिश्वत नहीं देता है तो उसका बैनामा पोस्टपोन करने की धमकी दी जाती है। शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में ये भी खुलासा किया था कि सब रजिस्ट्रार अविनाश कुमार ने रिश्वत वसूलने के लिए अपने कार्यालय में निजी लड़के रखे हुए हैं। बकायदा इनके नाम भी शिकायतकर्ता ने खोले थे और कहा था कि अवैध वसूली से अधिकारियों के साथ साथ सरकार की भी छवि धूमिल हो रही हैं।
शिकायतकर्ता ने गोपनीय जांच करवाकर अविनाश कुमार के खिलाफ कार्यवाही की मांग की थी अविनाश कुमार की भ्रष्ट कार्यशैली का खुलासा समाचार पत्रों में भी हुआ था जिसका संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी ने अविनाश कुमार के खिलाफ गोपनीय जांच करने के आदेश अपर जिलाधिकारी डा. ललित नारायण मिश्र को दिये थे। एडीएम डा. ललित नारायण मिश्र ने डीएम के आदेश पर मामले की जांच की तो कई आरोप सही पाये गये जांच के बाद अविनाश कुमार के खिलाफ 33 पेज की जांच आख्या महानिरीक्षक निबंधन उत्तराखण्ड शासन को भेजी गयी जांच अधिकारी ने अविनाश कुमार के खिलाफ जांच में उनके कार्यालय की सीसीसी टीवी रिकार्डिंग खंगाली थी जिसमें सब रजिस्ट्रार कार्यालय में अनाधिकृत व्यक्तियों के प्रवेश की पुष्टि हुई ये लोग कार्यालय में अनावश्यक हस्तक्षेप करते पाये गये जब जांच अधिकारी ने इन संदिग्ध लोगों की कार्यालय में आवाजाही को लेकर सब रजिस्ट्रार से स्पष्टीकरण मांगा तो सब रजिस्ट्रार ने कोई उत्तर नहीं दिया जांच अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया कि अविनाश कुमार का व्यवहार आम जनमानस के साथ सही नहीं हैं। साथ ही वह उच्चाधिकारियों के आदेशों को भी गंभीरता से नहीं लेते जबकि पूर्व में कमिश्नर ने दो बार उनके कार्यालय का निरीक्षण करने के दौरान उन्हें कार्यप्रणाली सुधारने के आदेश दिये थे।
जांच अधिकारी ने अपनी आख्या में अविनाश कुमार के खिलाफ विभागीय कार्यवाही की प्रबल संस्तुति करते हुए उनके स्थान पर किसी योग्य अधिकारी को तैनात करने की सिफारिश की थी लेकिन अविनाश कुमार की पहुंच के चलते यह जांच रिपोर्ट फाईलों में ही कैद होकर रह गयी है। अविनाश कुमार आज भी धड़ल्ले से अपनी मनमानी कर रहे हैं और सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति का खुलेआम मजाक उड़ाते नजर आ रहे हैं।