हरिद्वार। सनातन धर्म और संस्कृति में चैत्र नवरात्रि का बड़ा महत्व है इन नौ दिनों में मां दुर्गा शक्ति की विशेष पूजा-अर्चना कर लोक कल्याण की कामना की जाती है। नवरात्र के दिनों में मां दुर्गा आदि शक्ति की साधना से साधक में आध्यात्मिक उन्नति और आत्म बल बढ़ता है उक्त उद्गार बाबा वीरभद्र सेवाश्रम ट्रस्ट के परमाध्यक्ष जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी गर्व गिरि महाराज फरसे वाले बाबा ने श्रद्धालु भक्तों को आर्शीवचन देते हुए कहे। फरसे वाले बाबा ने कहा कि नवरात्र के चतुर्थ दिन मां कुष्मांडा की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्रि के चैथे दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करने के बाद साफ-सूथरे वस्त्र धारण कर मां कुष्मांडा का ध्यान कर उन्हें धूप, गंध, अक्षत, लाल पुष्प, सफेद कुम्हड़ा, फल और सूखे मेवे अर्पित करे। साथ ही घी का दीपक जलाएं। मां कुष्मांडा की पूजा का मां दुर्गा के सभी स्वरूपों में मां कुष्मांडा का स्वरूप बहुत ही तेजस्वी होता है। मां कुष्मांडा सूर्य के समान तेज वाली होती है। मां कुष्मांडा की पूजा से बुद्धि का विकास होता है साथ ही जीवन में निर्णय लेने की क्षमता और शक्ति बढ़ती है। मां दुर्गा का यह स्वरुप अपने भक्तों को आर्थिक ऊंचाइयों पर ले जाने में निरंतर सहयोग करने वाला माना गया है। उन्होंने कहा कि लंबे समय से बीमार व्यक्ति यदि देवी मां कुष्मांडा की विधि विधान से पूजा-अर्चना कर ले तो उसके सेहत को लाभ पहुंचता है। दही और हलवे का भोग लगाकर मां कुष्मांडा का ध्यान करते ही मां की आराधना करे और पूजा के समापन के पर माता कूष्मांडा की आरती कर विश्व के कल्याण की कामना करनी चाहिए अपना कल्याण स्वतः हो जाता है।