बबीता योगाचार्या संघर्ष की भट्टी में तपकर बनी है कुंदन

दीपा माहेश्वरी

जिस तरह सोना आग में तपकर ही कुंदन बनता है उसी तरह संघर्ष की भट्टी में तप कर तपने से हुनर को ऐसी पहचान मिली है कि समाज को नई दिशा व दशा दिखाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। नारी सशक्तिकरण का दीप प्रज्ज्वलित करती इस नारी के मन में समाज को बदलने की आरजू भी है और जज्बा भी। इसके लिये समाज सेवा से मजबूत हथियार और क्या हो सकता है।

धर्मनगरी की इस नारी का नाम है बबीता योगाचार्या। सौम्य स्वभाव व मधुरमा बबीता योगाचार्या समाज के बीच लगातार सक्रिय हैं। इनकी सक्रियता से इन्हें लोकप्रियता के सूचकांक आगे खड़ा कर दिया है। बात काफी पुरानी है जब बबीता योगाचार्या योग का हिस्सा बनी और योग को अपने जीवन का लक्ष्य बनाया और जन-जन को योग सीखाकर उसकी गुणवत्ता का अर्थ बताया। योग के प्रति जनता में जागरूकता लाने में भी बबीता योगाचार्या ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी।

समाजसेवा के लिये भी इन्होंने सराहनीय कार्य किये हैं और कर भी रही हैं। समय-समय पर अपनी संस्था के माध्यम से प्लास्टिक मुक्त अभियान, महिला सशक्तिकरण, बाल उत्थान, गौ रक्षा के प्रति शिविर लगाकर जनता को जागरूक करती हैं। वह समाजसेवा में ही अपना जीवन व्यतीत करने का लक्ष्य बना चुकी हैं।

पिछले लंबे समय से समाज सेवा से जुड़ी हैं और तमाम मुद्दों को लेकर उनकी समाजसेवा में मुखरता रही है। यही वजह है कि बबीता योगाचार्या को कई बार सम्मानित भी किया गया है। वर्ष 2018 में समाज सेवा में उत्कृष्ट कार्य करने लिए राष्ट्रीय अवार्ड से सम्मानित किया गया। बीपीएचओ की ओर से लगाये गये ब्लड डोनेशन कैम्प में ब्लड डोनेशन कर गिनिज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में अपनी भागीदारी की। महाकुंभ-2021 में उनकी ओर से चलाये गये प्लास्टिक मुक्त अभियान के लिए कुम्भ मेला अधिकारी दीपक रावत के द्वारा सम्मानित किया गया था। कोरोना काल में भी इनकी अह्म भूमिका रही। घर-घर जाकर जनसेवा के कार्यों में हिस्सा लिया।

अभी-अभी हाल में समाजसेवी बबीता योगाचार्या को समाज मे उत्कृष्ट कार्य करने के लिए माँ भूनेश्वरी अन्तरराष्ट्रीय यूनिवर्सिटीज (इन्दोर, मध्य प्रदेश) की ओर से ओनररी डाक्टरेट (मानद उपाधि) से नवाजा गया है। इसमे इनके द्वारा रिसर्च पेपर का विषय भी महिला सशक्तिकरण रहा। इन्हें यूनिवर्सिटीज के डायरेक्टर डाॅ. सन्तोष भार्गव एवं वाईस चांसलर दिप्ती की ओर से सम्मानित किया गया।

बबीता योगाचार्या ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जागरूक शिविर लगाकर कार्य करती है। इनकी संस्था छनबन कैप चैरिटेबिल ट्रस्ट भारत के पाँच राज्यों हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, झारखंड में कार्य करती है। इनका मुख्य कार्य अशिक्षित महिलाओं को जूट व साॅफ्ट टाॅय का प्रशिक्षण देना है। बबीता योगाचार्या पिछले 19 वर्षों से समाज सेवा में लिप्त हैं।

बबीता योगाचार्या  नारी सशक्तिकरण की एक बेजोड़ मिसाल है जो समस्त नारियों को बहुत बड़ा संदेश दे रही हैं। आइये, आप और हम बबीता योगाचार्या के प्रयासों का हिस्सा बनें और समाज के लिये नया व खास करें।

 

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