पहाड़ की छानी से शुरू हुआ ‘ब्वारी विलेज’, अब बना ग्रामीण पर्यटन और महिला सशक्तिकरण का उदाहरण

उत्तरकाशी। उत्तरकाशी जनपद में जहां आमतौर पर पर्यटकों का रुख हर्षिल वैली या मोरी-सांकरी की ओर होता है, वहीं चिन्यालीसौड़ ब्लॉक के मथोली गांव की महिलाओं ने अपने आतिथ्य सत्कार और कौशल से गांव को पर्यटन का नया केंद्र बना दिया है। यहां होम स्टे से लेकर विलेज टूर तक की सभी व्यवस्थाएं महिलाएं ही संभाल रही हैं।

गांव को पर्यटन स्थल के रूप में पहचान दिलाने का श्रेय गांव के युवक प्रदीप पंवार को जाता है। कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान प्रदीप को वापस गांव लौटना पड़ा। सौभाग्य से उनके पास पर्यटन क्षेत्र का अनुभव था। उन्होंने अपनी छानी (गौशाला) को होम स्टे में तब्दील कर पर्यटकों के लिए खोल दिया। इसके साथ ही उन्होंने गांव की महिलाओं को आतिथ्य सत्कार, स्थानीय भोजन, ट्रैकिंग और गांव भ्रमण का प्रशिक्षण दिया। गांव की ब्रांडिंग ‘ब्वारी विलेज’ के तौर पर की गई ताकि महिला सशक्तिकरण का संदेश दूर तक पहुंचे।

उन्होंने गांव में पारंपरिक जीवनशैली को दिखाने के लिए घस्यारी प्रतियोगिता जैसी गतिविधियां भी शुरू कीं, जो पर्यटकों को खूब पसंद आ रही हैं। स्थानीय महिला अनीता पंवार बताती हैं कि अब अन्य महिलाएं भी अपनी छानियों को होम स्टे में बदलने के लिए आगे आ रही हैं। प्रदीप बताते हैं कि आठ मार्च 2022 से शुरू किए गए इस होम स्टे में अब तक करीब एक हजार पर्यटक आ चुके हैं, जिससे गांव की करीब 20 महिलाओं को समय-समय पर रोजगार मिला है। उन्होंने अपने होम स्टे को पर्यटन विभाग में पंजीकृत भी करा लिया है और अब ऑनलाइन बुकिंग भी संभव है।

पर्यटन विभाग के आंकड़ों के अनुसार राज्य में इस समय 5331 होम स्टे पंजीकृत हैं, जिनमें से अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों में हैं और महिलाओं द्वारा संचालित किए जा रहे हैं। सरकार की पंडित दीन दयाल उपाध्याय होम स्टे योजना के तहत पहाड़ी क्षेत्र में 33 प्रतिशत और मैदानी क्षेत्र में 25 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है।

मथोली गांव आज ग्रामीण पर्यटन के साथ ही महिला सशक्तिकरण का भी आदर्श बन गया है। पर्यटन विभाग का कहना है कि यदि कोई और परिवार होम स्टे शुरू करना चाहता है तो उन्हें सभी सरकारी योजनाओं का लाभ और पंजीकरण में सहयोग दिया जाएगा। मथोली की यह पहल अन्य गांवों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन रही है।

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