मुख्यमंत्री धामी ने UCC पर प्रधानमंत्री को दी प्रस्तुति, कहा– चार माह में मिले डेढ़ लाख आवेदन, 98% गांव हुए शामिल

नई दिल्ली। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित मुख्यमंत्री परिषद की बैठक में प्रतिभाग किया। इस दौरान उन्होंने उत्तराखंड में लागू समान नागरिक संहिता (UCC) पर प्रस्तुति देते हुए बताया कि इसे लागू करने के लिए एक मजबूत सिस्टम खड़ा किया गया है। जनसामान्य की सुविधा के लिए पोर्टल और समर्पित मोबाइल ऐप भी विकसित किया गया है, साथ ही 14,000 से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) को इससे जोड़ा गया है।

मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए ऑटो एस्केलेशन और ग्रीवेंस रिड्रेसल सिस्टम भी तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि महज चार महीने में ही UCC के तहत राज्यभर से करीब डेढ़ लाख आवेदन प्राप्त हुए हैं और लगभग 98% गांवों से प्रतिक्रियाएं आई हैं, जिससे जनता के सहयोग का स्पष्ट संकेत मिलता है।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को मार्गदर्शन और सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने बताया कि 2022 के विधानसभा चुनाव में जनता से किए गए वादे के अनुरूप, पहले दिन से ही UCC पर काम शुरू कर दिया गया था। 27 मई 2022 को जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता में समिति गठित कर राज्य के सभी 13 जिलों में व्यापक जन परामर्श लिया गया, जिसमें दो लाख से अधिक सुझाव प्राप्त हुए।

इसके बाद 7 फरवरी 2024 को उत्तराखंड विधानसभा में UCC विधेयक पारित कर राष्ट्रपति को भेजा गया, जिसे 11 मार्च 2024 को मंजूरी मिल गई। इसके बाद 27 जनवरी 2025 को यह कानून राज्य में विधिवत लागू कर दिया गया। उत्तराखंड UCC लागू करने वाला देश का पहला राज्य बना।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि यह कानून जाति, धर्म, लिंग के आधार पर भेदभाव को समाप्त कर सभी को समान अधिकार देने की दिशा में बड़ा कदम है। इससे महिलाओं को विशेष लाभ मिलेगा और हलाला, इद्दत, बहुविवाह, बाल विवाह और तीन तलाक जैसी कुप्रथाओं पर पूरी तरह रोक लगाई जा सकेगी।

धामी ने स्पष्ट किया कि संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत अनुसूचित जनजातियों को इससे बाहर रखा गया है ताकि उनकी परंपराओं और संस्कृति का संरक्षण हो सके। उन्होंने कहा कि UCC किसी धर्म के खिलाफ नहीं, बल्कि समाज में समानता और समरसता स्थापित करने का संवैधानिक प्रयास है।

नई व्यवस्था के तहत विवाह, तलाक और उत्तराधिकार से जुड़े मामलों के लिए एक समान प्रक्रिया लागू की गई है। बहुविवाह पर पूर्ण प्रतिबंध होगा और सभी धर्मों की बेटियों को संपत्ति में समान अधिकार मिलेंगे। साथ ही लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले युवाओं के लिए पंजीकरण अनिवार्य किया गया है, जिसकी जानकारी माता-पिता को दी जाएगी लेकिन गोपनीय रखी जाएगी।

मुख्यमंत्री ने बताया कि अब विवाह और तलाक का भी पंजीकरण उसी तरह संभव होगा जैसे जन्म और मृत्यु का होता है। साथ ही बुजुर्ग माता-पिता को बच्चों की संपत्ति में अधिकार मिलने से उनकी आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

 

 

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