कुरुक्षेत्र (हरियाणा)। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को कुरुक्षेत्र में आयोजित अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि धर्म क्षेत्र कुरुक्षेत्र की पवित्र भूमि से भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया उपदेश आज भी मानवता के लिए शाश्वत मार्गदर्शन बना हुआ है। मुख्यमंत्री ने हरियाणा सरकार और स्वामी ज्ञानानंद महाराज के प्रति धन्यवाद व्यक्त करते हुए कहा कि इस महोत्सव के माध्यम से गीता के संदेश का व्यापक प्रसार हो रहा है।
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन की कालजयी मार्गदर्शिका है। उन्होंने बताया कि बचपन से ही गीता उनके जीवन का आधार रही है और वे अपने हर महत्वपूर्ण निर्णय में गीता के उपदेशों को मार्गदर्शक मानते हैं। उन्होंने कहा कि निष्काम भाव से समाज और राष्ट्र की सेवा करना ही सबसे बड़ा धर्म है।
धामी ने कहा कि आधुनिक समय में बढ़ती भौतिकता और तनाव के बीच गीता का संदेश और भी प्रासंगिक हो गया है। गीता का हर अध्याय मानव जीवन को संतुलित, उद्देश्यपूर्ण और नैतिक बनाता है। उन्होंने कहा कि आज विश्व के प्रमुख विश्वविद्यालयों में गीता पर शोध हो रहे हैं और इसे नेतृत्व, प्रबंधन और आत्मशांति के महत्वपूर्ण ग्रंथ के रूप में अपनाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि गीता के महत्व को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने राज्य के सभी विद्यालयों में प्रतिदिन गीता के श्लोकों का पाठ अनिवार्य किया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश अपनी सांस्कृतिक चेतना के पुनर्जागरण के अमृत काल में प्रवेश कर चुका है और सनातन संस्कृति की पताका आज विश्वभर में लहरा रही है।
धामी ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड देश का आध्यात्मिक केंद्र है। राज्य सरकार ने जबरन धर्मांतरण पर कठोर कानून लागू किया है, दंगारोधी कानून बनाया है और 10 हजार एकड़ से अधिक सरकारी भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराया है। साथ ही, देश में पहली बार समान नागरिक संहिता कानून लागू कर समान कानून की व्यवस्था स्थापित की गई है।
कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर, अवधेशानंद महाराज, कुमार ऋषि, स्वामी लोकेश मुनि, बाबा भूपेंद्र, कपिल पुरी महाराज सहित अनेक संतगण उपस्थित रहे।