मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने की सिंचाई विभाग की समीक्षा, समयबद्ध परियोजना पूर्णता पर दिया जोर

मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने सोमवार को सचिवालय में सिंचाई एवं लघु सिंचाई विभाग की समीक्षा की। बैठक में विभागीय योजनाओं की प्रगति का जायजा लिया गया। उन्होंने कहा कि बड़ी परियोजनाएं तय समय में पूरी हों और जल संरक्षण की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाए। सचिव आर. राजेश कुमार ने विभागीय योजनाओं की विस्तृत प्रस्तुति दी। मुख्य सचिव ने कहा कि प्रत्येक कार्य की तिथि पूर्व से तय हो और प्रगति की सचिव व विभागाध्यक्ष स्तर पर नियमित निगरानी की जाए। सिंचित व असिंचित क्षेत्रों की माप के लिए आधुनिक तकनीक अपनाने के निर्देश दिए गए। नहरों, नलकूपों और लिफ्ट नहरों का संचालन ग्राम पंचायत समितियों के माध्यम से कराने की बात कही गई। सिंचाई अनुसंधान संस्थान को सिंचाई क्षमता व उपजाऊ क्षेत्र चिह्नित करने को कहा गया। खाली भूमि पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने और 1 मेगावाट उत्पादन का लक्ष्य तय किया गया। ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई को प्रोत्साहित करने की बात कही गई। पर्वतीय क्षेत्रों में सौर ऊर्जा आधारित योजनाओं को बढ़ावा देने के निर्देश दिए गए। जमरानी, सौंग और बलियानाला जैसी प्रमुख परियोजनाओं की सचिव स्तर पर मासिक और विभागाध्यक्ष स्तर पर साप्ताहिक समीक्षा के निर्देश दिए गए। अल्पकालिक, मध्यकालिक और दीर्घकालिक योजनाओं के लक्ष्य बढ़ाने पर जोर दिया गया। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जलाशय के लिए वन और पर्यावरण क्लीयरेंस में तेजी लाने को कहा गया। सचिव आर. राजेश कुमार ने बताया कि जमरानी बांध परियोजना जून 2024 से शुरू हुई है और मार्च 2030 तक पूरी होगी, जिसकी अनुमानित लागत ₹3808.16 करोड़ है। सौंग बांध परियोजना नवंबर 2024 से शुरू होकर दिसंबर 2029 तक पूरी होगी और इसकी लागत ₹2491.96 करोड़ आंकी गई है। आईआरआई रुड़की को नदी पुनर्जीवन कार्यों के आकलन के लिए कार्यदायी संस्था बनाया गया है। बैठक में सिंचाई विभाग के सुभाष चंद्र पांडेय, लघु सिंचाई विभाग के बृजेश कुमार तिवारी समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

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