काशीपुर। वरिष्ठ अधिकारियों की अनदेखी के चलते काशीपुर में आबकारी विभाग का कार्यालय सभी नियम_कायदों को ताक पर रखकर शहर की एक रिहायशी पाश कॉलोनी चल रहा है, जबकि यहां तैनात आबकारी निरीक्षक अपने मूल कर्तव्यों को दर_किनार कर लोगों को अपने शाही ठाठ बाट की हनक दिखाने में लगे हैं।
सर्व विदित है कि कोई भी सरकारी कार्यालय ऐसी जगह पर बनाया जाता है जो कि आम जनता की पहुंच में हो, ताकि लोग आसानी से अपनी शिकायत एवं फरियाद कर सकें। परंतु काशीपुर में आबकारी विभाग का कार्यालय लंबे समय से जसपुर खुर्द स्थित एक रिहायशी पाश कॉलोनी में चल रहा है, आश्चर्य की बात तो यह है कि इस कार्यालय पर विभागीय बोर्ड तक नहीं लगा हुआ है। जिस कारण पहले तो आम नागरिकों को यह कार्यालय मिल नहीं पता, किसी तरह पता चल भी जाए तो गेट पर बैठे गार्ड आम लोगों को कार्यालय तक पहुंचने नहीं देते हैं क्योंकि कॉलोनी से बाहर के लोगों का बेवजह अंदर आना माना है। पूर्व में आबकारी विभाग का यह कार्यालय यहां टांडा तिराहे पर था जहां लोग आसानी से पहुंच सकते थे परंतु इस बिल्डिंग के जर्जर होने के बाद यह कार्यालय यहां से स्थानांतरित हो गया ।बात कार्यालय की ही नहीं कुछ दिन पूर्व आबकारी निरीक्षक के पद पर स्थानांतरित होकर यहां आए दिवाकर चौधरी भी आजकल अपने शाही ठाठ_बाट और क्रिया कलापों को लेकर खासी चर्चा का विषय बने हुए हैं। कुछ दिन पूर्व शासन से विभागीय कार्यों के लिए आबकारी निरीक्षक को एक बोलेरो गाड़ी उपलब्ध कराई गई थी, जिस पर आबकारी निरीक्षक दिवाकर चौधरी ने अपनी मर्जी से नीली पीली बत्ती लगवा ली, इतना ही नहीं उन्होंने लोगों को भ्रमित करने के लिए इस गाड़ी पर C.O.(E) भी लिखवा लिया, उनकी भाषा में C.O.(E) का मतलब सर्किल ऑफिसर (एक्साइज) है जबकि आम आदमी गाड़ी को देखकर यही अंदाजा लगाता है की गाड़ी पुलिस क्षेत्राधिकारी की है क्योंकि पुलिस और आबकारी विभाग की वर्दी भी लगभग मिलती-जुलती है। यहां पर यह बताना आवश्यक है कि जिले में अन्य कई स्थानों पर भी यह गाड़ी उपलब्ध कराई गई हैं परंतु किसी गाड़ी पर ना तो नीली पीली बत्ती लगी है और ना ही C.O.(E) लिखा है। आश्चर्य की बात तो यह है कि अभी तक आबकारी निरीक्षक कि इस मनमानी के प्रति विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी कोई कार्रवाई नहीं की है।