आश्रम की संपत्ति हड़पने के लिए हुई महंत गोविंद दास की हत्या

हरिद्वार। कनखल क्षेत्र आश्रम के लापता महंत गोविंददास की गुमशुदगी का खुलासा करते हुये पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों ने आश्रम की संपत्ति हड़पने के लिए महंत की गला घोंटकर हत्या की थी, शव को कट्टे में रख कर गंगा नदी में फेंक दिया था । सम्पत्ति को बेचने के लिए फर्जी वसीयतनामा तैयार किया गया था।

आज रोशनाबाद स्थित पुलिस मुख्यालय में हत्याकांड का खुलासा करते हुए एसएसपी प्रमेंद्र सिंह डोबाल ने बताया कि बृहस्पतिवार को रुद्रानंद निवासी रायवाला गौरी गीता आश्रम बिरला मंदिर ,देहरादून ने कनखल थाने में शिकायत कि उनके गुरु महंत गोविंद दास शिष्य बिशम्बर दास महाराज निवासी श्रद्धा भक्ति आश्रम ज्ञानलोक कॉलोनी कनखल विगत 15 जून को धर्म प्रचार के लिए आश्रम से राजस्थान गए थे। लेकिन अभी तक वापस नही लौटे। पुलिस ने रुद्रानंद की ओर से की गई शिकायत पर गुमशुदगी के मामले में रिपोर्ट दर्ज की। जांच पड़ताल में गुमशुदा महन्त के चेलों से पता चला कि जून माह 2024 से आश्रम में एक नया बाबा बैठा है जिसको पहले कभी देखा नहीं गया।

पुलिस ने आश्रम के नए बाबा राम गोपाल नाथ से सख्ती से पूछताछ की तब प्रकाश में आया कि महंत गोविंद दास की हत्या की गई है। बाबा ने बताया कि कपड़े बेचने के बहाने आश्रम में आने वाले अशोक ने महंत राम गोविंद दास की हत्या की साजिश रची थी। अशोक आश्रम के बाबा को 2021 से जानता था। इसी कारण कपड़े बेचने के लिए आश्रम एवं आसपास के इलाकों में आता था और कभी-कभी एक या दो दिन के लिए आश्रम में रूक जाया करता था वहीं से इसकी बाबा से मुलाकात हो गई। अशोक फरवरी 2024 में आश्रम में आया था, करीब 3 माह आश्रम में रुक कर गया था। तभी धीरे-धीरे आश्रम की पूरी जानकारी इकट्ठा कर ली। इसके बाद उसने अपने दोस्तों ललित, सौरभ और प्रदीप को आश्रम में बुलाकर संपत्ति पर कब्जा करने की योजना बनाई।

आरोपियों ने पहले आश्रम में लगे सीसीटीवी कैमरों को हटा दिया और फिर 1 जून को महंत को नशे का इंजेक्शन लगाकर मूर्छित करने के बाद गला घोंटकर हत्या कर दी। इसके बाद आरोपियों ने शव को कट्टे में रखकर किराए की स्कूटी की सहायता से ले जाकर गंगा नदी में फेंक दिया। इसके बाद अशोक ने 3 जून को अपने परिचित रामगोपाल नाथ नामक एक फर्जी बाबा को रुपयों का लालच देकर आश्रम की देखरेख के लिए बुलाया और उसे महंत के अयोध्या जाने की झूठी कहानी सुनाई। अशोक ने फर्जी बाबा से कहा कि महंत के बारे में कोई पूछे तो अयोध्या जाने की बात कहना।

हत्या के बाद, अशोक ने संपत्ति बेचने के लिए संजीव त्यागी नामक एक प्रॉपर्टी डीलर से मिलकर जाली वसीयतनामा तैयार किया। अब तक इस घटना में 6 आरोपी सामने आए हैं और पुलिस अन्य संलिप्त लोगों की भी जांच कर रही है। फर्जी बाबा को आश्रम के अन्य लोगों के साथ उठने बैठने के दौरान महंत की हत्या की जानकारी कुछ दिनों बाद हो गई, लेकिन खर्च और आश्रम बेचने से मिलने वाले मुनाफे के लालच में वह चुप रहा और इस बात को दबाए रखा।

अशोक ने आश्रम बेचने के लिये प्रॉपर्टी डीलर संजीव त्यागी से मिलकर महंत के जाली हस्ताक्षर के साथ फर्जी वसीयतनामा तैयार किया। संजीव को पूरी जानकारी होने के बावजूद, मुनाफे के लालच में उसने आरोपियों का साथ दिया।
महंत की हत्या के बाद अशोक ने करीब 50 लाख की एफडी, चेक बुक, मोबाइल और अन्य दस्तावेज अपने पास रखे और मृतक के मोबाइल में अलग-अलग सिम डालकर गुमराह करने की कोशिश की। उसने महंत के बैंक खाते से जाली हस्ताक्षर कर 10 लाख रुपये भी निकाल लिए थे और एफडी को कैश कराने की कोशिश में था, अशोक ने संजीव त्यागी के साथ मिलकर आश्रम का फर्जी वसीयतनामा बनाया और इसे 10 करोड़ रुपये में बेचने की योजना बनाई थी। महंत की हत्या के बाद फर्जी बाबा को आश्रम में बैठाकर उन्होंने लोगों को यह कहकर गुमराह किया कि महंत धर्म प्रचार के लिए अयोध्या गए हैं और नए बाबा को आश्रम की देखभाल के लिए रखा गया है।

महंत के लंबे समय से लापता होने और आश्रम से किसी के द्वारा पुलिस को सूचित न करने पर महंत के एक अन्य शिष्य रूद्रानन्द को शक हुआ, और उसने 17 अक्टूबर 2024 को कनखल थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई। पुलिस ने 24 घंटों के भीतर मामले का खुलासा कर दिया।

हत्या में मुख्य अशोक कुमार निवासी शहादरा, दिल्ली, ललित निवासी करनाल, संजीव कुमार त्यागी निवासी मंगलौर हरिद्वार व योगी रामगोपाल नाथ उर्फ गोपाल सिहं निवासी कानपुर हैं। जिन्हें पुलिस नेे गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि दो आरोपी सौरभ और प्रदीप की तलाश जारी है। शव की खोज के लिए पुलिस टीमें जुटी हुई हैं।

आरोपी 10वीं और 12वीं पास हैं। मुख्य आरोपी अशोक कपड़ों का काम करता था, वर्ष 2004 में बाइक चोरी के मामले में जेल जा चुका है। वहीं, आरोपी ललित करनाल में ज्वैलर्स की लूट के एक मामले में भी जेल जा चुका है।

आरोपियों के कब्जे से 16 लाख रूपए की एफडी, दो चैक बुक व फर्जी वसियतनामें की छायाप्रति बरामद हुई। आरोपियों की निशांदेही पर वारदात के प्रयुक्त इंजेक्शन, नशीली गोली का पता भी चला है।

आरोपियों को पकड़ने वाली टीम में सीओ सिटी जूही मनराल, कनखल थानाध्यक्ष मनोज नौटियाल, उपनिरीक्षक चरण सिहं चैहान, एएसआई मुकेश राणा व कांस्टेबल सतेन्द्र रावत, उमेद सिंह, जितेंद्र राणा, संजू सैनी, उमेश व वसीम (सीआईयू) शामिल रहे।

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