हरिद्वार। नारसन ब्लॉक के सिकंदरपुर मवाल गांव की ‘माही स्वयं सहायता समूह’ की महिलाओं ने साबित कर दिया है कि अगर हौसला हो तो सीमित संसाधन भी समृद्धि की राह बन सकते हैं।
ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना और जिला प्रशासन के सहयोग से इन महिलाओं ने छोटे स्तर से शुरुआत की और आज 450 लीटर दूध प्रतिदिन बेचकर न केवल अपने परिवार को बेहतर जीवन दे रही हैं, बल्कि ‘माही डेयरी’ और ‘माही मिल्क बार’ के जरिये पहचान भी बना रही हैं।
उन्हें ₹3 लाख का बैंक लोन, ₹1 लाख का स्वयं अंशदान और ₹6 लाख की परियोजना सहायता मिली। आज वे ₹49,000 प्रति माह का शुद्ध लाभ कमा रही हैं। दूध से दही, लस्सी, पनीर, मावा तक—हर उत्पाद उनकी मेहनत की मिसाल है।