हिमालयी क्षेत्र विशेषकर उत्तराखंड में बड़े भूकंप की आशंका से वैज्ञानिक चिंतित हैं। भूगर्भीय प्लेटों के घर्षण से धरती के अंदर ऊर्जा एकत्र हो रही है, जो छोटे-छोटे भूकंपों के रूप में बाहर आ रही है। वाडिया इंस्टीट्यूट और एफआरआई देहरादून में हुई कार्यशालाओं में विशेषज्ञों ने अनुमान जताया कि अगला बड़ा भूकंप 7.0 तीव्रता का हो सकता है।
नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के अनुसार, पिछले 6 महीनों में उत्तराखंड में 22 बार 1.8 से 3.6 तीव्रता तक के भूकंप आ चुके हैं, जिनके झटके खासकर चमोली, पिथौरागढ़, उत्तरकाशी और बागेश्वर में महसूस किए गए। उत्तराखंड जोन 4 व 5 में आता है, जो सबसे संवेदनशील भूकंपीय क्षेत्र माने जाते हैं।
वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर भूकंप मैदान और पहाड़ दोनों में आता है, तो नुकसान मैदानों में ज्यादा होगा। बड़े भूकंप आमतौर पर 10 किमी की गहराई में आते हैं, जिससे उनका असर तीन गुना ज्यादा होता है।