ऋषिकेश : आयुर्वेद विश्वविद्यालय में वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों के कारण कर्मचारियों को पिछले चार महीनों से वेतन नहीं मिला है। इस स्थिति से नाराज चिकित्सक, शिक्षक और शिक्षणेत्तर कर्मचारी आंदोलन पर उतर आए हैं। कर्मचारियों का आरोप है कि उन्होंने कई बार विश्वविद्यालय प्रशासन और उच्चाधिकारियों से गुहार लगाई, लेकिन वेतन का भुगतान नहीं हुआ।
आंदोलन को उत्तराखंड विश्वविद्यालय महासंघ का भी समर्थन मिल चुका है। बुधवार को आंदोलन के पहले चरण में आयुर्वेद विश्वविद्यालय के तीनों परिसर – ऋषिकुल, गुरुकुल और हर्रावाला में कर्मचारियों ने काला फीता बांधकर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान कर्मचारियों ने व्यवस्था पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए नारेबाजी की।
शिक्षणेत्तर कर्मचारी महासंघ के कार्यकारी अध्यक्ष खीमानंद भट्ट ने कहा कि लगातार हो रही अनदेखी के कारण चिकित्सा और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ा है। उन्होंने कहा कि शासन और प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
वहीं, समीर पांडेय ने कहा कि उन्होंने आयुष सचिव से लेकर मुख्यमंत्री तक को ज्ञापन भेजा, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप करने की मांग की।
उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय कर्मचारी महासंघ की संगठन मंत्री सुनीता चंद्र तिवारी ने कहा कि शासन स्तर तक कई बार पत्र भेजे गए, लेकिन किसी ने भी उनकी सुध नहीं ली।
आयुर्वेद शिक्षणेत्तर संघ के सचिव मोहित मनोचा ने कहा कि कर्मचारी नियमित रूप से कार्य कर रहे हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि वर्ष 2015 में ऋषिकुल और गुरुकुल कॉलेज विश्वविद्यालय के अधीन आए, और तभी से व्यवस्थाएं लगातार बिगड़ती जा रही हैं।
इस विरोध प्रदर्शन में मंजू पांडेय, अनिल सिंह नेगी, अमित लांबा, शिखा नेगी, नितिन कुमार, गुरुकुल परिसर से राहुल तिवारी, हरिश्चद्र गुप्ता, ताजवर सिंह नेगी, जगजीत कैंतूरा, मुख्य परिसर में लक्ष्मी उनियाल सहित अन्य संवर्ग के कर्मचारी और अधिकारी शामिल रहे।
अभी तक, विश्वविद्यालय प्रशासन और राज्य सरकार की ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है, जिससे कर्मचारियों के गुस्से और आंदोलन में और वृद्धि हो सकती है।